आज़ादी से पहले लाहौर रेडियो पर गाने से अपने संगीत करियर की शुरुआत करनेवाले एस मोहिन्दर का 95 साल की उम्र में आज सुबह मुम्बई में देहांत हो गया।
‘गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा’ (शीरीं फ़रहाद 1956) गीत के संगीतकार बख्शी मोहिन्दर सिंह सरना गुज़रे दौर के अकेले जीवित संगीतकार थे ।
1948 से 1968 के बीच उन बीस बरसों में एस मोहिन्दर ने उस दौर के सभी दिग्गज संगीतकारों के बीच अपनी ख़ास जगह बनाए रखी। एस मोहिन्दर के संगीत निर्देशन में उस दौर के जिन गायको ने गाया उनमें प्रमुख हैं – अमीर बाई कर्नाटकी, तलत महमूद, सुरैया, जीएम दुर्रानी, गीता दत्त, हेमन्त कुमार, मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर, आशा भोसले और मुकेश। 1969 में उन्हें फिल्म ‘नानक नाम जहाज़ है’ के संगीत के लिए नेशनल फिल्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
एस मोहिन्दर ने अपने सक्रिय फिल्म करियर के आख़िरी बरसों में फिल्म निर्माण में भी हाथ आज़माया लेकिन जल्द ही इससे हाथ खींच लिया और क़रीब 40 साल पहले अपने भाइयों के साथ अमरीका जाकर बस गए।
फ़िल्मी दुनिया को अलविदा कहने के बाद एस मोहिन्दर अमरीका में भले ही अपने संगीत की हलचलें बचाए रख पाए हों लेकिन यहां भारत में उनके चाहने वालों के लिए उनके संगीत का ज़माना सचमुच एक गुज़रा हुआ ज़माना हो चुका है जो आता नहीं दुबारा।
एस मोहिंदर को आख़िरी सलाम।
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