स्फटिक प्रश्न
क्या हो रहा है ? कौन सो रहा है नींद सुख की ? आग जब घर में लगी है कौन है जो बुझाने बढ़ता नहीं है ?… कवि-स्वर ~भवानी प्रसाद मिश्र (1913-1985) For similar experiences Listen with Irfan I have compiled a collection of carefully chosen recordings from my extensive collection of sounds, encompassing various […]
Voice Workshop | Hindustani Voice Enthusiasts
This paid workshop focuses more on field experiences rather than theoretical and academic aspects. Though not in sequence, the mentor will share their first-hand experiences in the following areas:1. Voice as a Tool of Mass Communication: Challenges and responsibilities2. Foundations of Voice: Environment, Education and other factors3. Clear Speaking: Clarity and Projection4. Elements of Voice […]
University of Pennsylvania on Guftagoo
A data analysis by Prof Sudev Sheth, Nitin Rao, and Rachel Hong of University of Pennsylvania Part – 1 The Data: Analyzing the Indian Film Industry through Irfan’s Guftagoo Interviews Part – 2 The Visualizations: Analyzing the Indian Film Industry through Irfan’s Guftagoo Interviews Part – 3 Skin Color & Gender Stereotypes in Bollywood: Analyzing […]
Irfan recites Agyeya’s poem
Guftugu with Filmmaker and Heritage Activist Sohail Hashmi | Tonight @ 10
नहीं रहे, गुज़रे ज़माने के आख़िरी संगीतकार एस मोहिंदर
आज़ादी से पहले लाहौर रेडियो पर गाने से अपने संगीत करियर की शुरुआत करनेवाले एस मोहिन्दर का 95 साल की उम्र में आज सुबह मुम्बई में देहांत हो गया। ‘गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा’ (शीरीं फ़रहाद 1956) गीत के संगीतकार बख्शी मोहिन्दर सिंह सरना गुज़रे दौर के अकेले जीवित संगीतकार थे । 1948 से 1968 के […]
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘बूढ़ी काकी’ का वाचन

भारतीय उपमहाद्वीप की शीर्ष साहित्यिक कृतियों के सस्वर वाचन का जैसा संसार पाकिस्तान के अभिनेता ज़िया मुहीउद्दीन ने, रचा है और रच रहे हैं, वह बेमिसाल है। लंदन के रॉयल एकेडमी ऑफ़ ड्रामेटिक आर्ट्स से प्रशिक्षित ज़िया मोहीउद्दीन वाचन की इस विधा के अग्रणी व्यक्ति हैं। पाकिस्तान में उनके साहित्यवाचन की संध्याएं व्यापक आकर्षण का केंद्र हैं। इन संध्याओं में कविताओं, कहानियों, संस्मरणों, व्यंग्यों […]
18 साल की उम्र तक तुतलाते थे सत्यदेव दुबे

अपनी विशिष्ट संवाद अदायगी और स्वर नियंत्रण के लिए अनुकरणीय नाटककार, अभिनेता और निर्देशक सत्यदेव दुबे ने खुद बताया कि वे 17-18 साल की उम्र तक तुतलाते थे। उनकी यह महत्वाकांक्षा बन चुकी थी कि एक दिन वे इस दोहे को ठीक से बोल सकेंगे – लाली मेरे लाल की जित देखूँ तित लाल लाली देखन मैं गयी […]
Guftagoo: A conversational journey

‘गुफ्तगू’ के ज़रिये हम राज्य सभा टीवी पर एक ऐसा आस्वाद प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं जिसमें किसी भी प्रकार की नाटकीयता और अतिशयता से अलग एक हार्दिक संवाद आपको मिल सके. इसमें हम उन सभी महत्वपूर्ण लोगों से बातें करते हैं जिनसे या तो हमारा समय और समाज प्रभावित हुआ है, हो रहा है या फिर ऐसा होने की संभावना दिखाई देती है. हमारे इस प्रयास को आप की तरफ से अब तक जैसा समर्थन, सहयोग और मार्गदर्शन मिला है उससे ऐसा लगता है कि टीवी चैनेल अपने दर्शकों की इच्छाओं की अनदेखी करते हैं. इस मामले में राज्य सभा टीवी की दूरदर्शिता और अपनी धरोहर के प्रति सम्मान की भावना ने गुफ्तगू को एक ऐसा गुलदस्ता बनाया है जिसकी खुशबू से मेरा खुद का मन आश्वस्त रहता है. मेरे पास हर रोज़ आने वाली मेल्स, फोन कॉल्स और विभिन्न माध्यमों से पहुंचने वाली सद्भावनाएं, मुझे और गुफ्तगू टीम को नयी ज़िम्मेदारियों से लैस करती हैं. मैं अपने डायस्पोरा के दर्शकों का भी ख़ास तौर पर शुक्रिया अदा करता हूं कि वे गुफ्तगू की उपादेयता के बारे में सक्रियता से हमें मेल लिखते हैं.
Parikshit Sahni remembering his father Balraj Sahni

टेलीविज़न और फिल्मों के ज़रिये बतौर अभिनेता अपनी पहचान बनाने वाले परीक्षित साहनी या कहें अजय साहनी हाल के बरसों में जिन फिल्मों में आपको दिखाई दिए हैं उनमें लगे रहो मुन्ना भाई, थ्री ईडियट्स, चांस पे डांस, मेरे ब्रदर की दुल्हन, पीके और सुलतान चर्चित फ़िल्में हैं।
परीक्षित साहनी पहली जनवरी 1944 को रावलपिंडी के पास मॅरी में जन्मे। उनके पिता प्रख्यात अभिनेता और लेखक बलराज साहनी थे और उनकी मां दमयंती साहनी स्वयं एक कुशल रंगकर्मी थीं।